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Cow Death due to Lumpy : लम्पी के सामने लम्पट व्यवस्था

facebook, twitter, कोरोना से खतरनाक लम्पी सनातन धर्म में गाय का प्रमुख स्थान है। गाय में सक्षात श्री हरि विष्णु का वास हाेता है। इसके अलावा सभी देवी-देवता का निवास होता है। भारत देश जहां स्चयं श्री कृष्ण गाय की सेवा करते थे उस देश में राेज हजारों गायों का मौत के मुंह में जाने पर सरकारों की चुप्पी समझ से परे है। ये भी पढ़े :  गाय में जो रोग है, उसकी दवा गाय के शरीर में ही उपलब्ध एक किसान के लिए पशु का क्या महत्व होता है वह इस बात से समझा जा सकता है कि जब कभी शाम को वक्त पर घर न पहुंचे तो मन में अनहोनी का आभास होने लगता है। ऐसे में लाखों गायों की मौत पर सब मौन क्यों? अकेले राजस्थान में 75 हजार गाय और बछड़े मौत के मुंह में समा चुके है। लम्पी से होने वाली मौत के मामले में गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हिमाचल, हरियाणा और बाकी राज्य भी पीछे नहीं है जहां लम्पी गायो को निगल रही है। ये भी पढ़े :  Global Warming effect on Amarnath Shivling : अमरनाथ शिवलिंग पर ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव गायों की मौन-चीत्कार लम्पी वायरस का कोई इलाज नहीं है और न ही कोई टीका है। हजारों गायें रोज धरती मां क...
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Lumpy Skin Disease : लम्पी का उपचार पुरी शंकराचार्य जी द्वारा

facebook, twitter, गाय में जो रोग है, उसकी दवा गाय के शरीर में ही उपलब्ध कोरोना के बाद कई नई बीमारियां सामने आ रही हैं। पहले मंकीपॉक्स और अब लंपी वायरस ने लोगों को चिंता में डाल दिया है। गुजरात-राजस्थान और पंजाब के अंदर पशुओं में तेजी से फैल रहे इस वायरस ने गायों समेत हजारों जानवरों की जान ले ली है। ये भी पढ़े :  अमरनाथ शिवलिंग पर ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव किस तरह का संक्रमण है लंपी लंपी स्किन रोग एक संक्रामण रोग है। जो वायरस की वजह से तेजी से फैलता है और कमजोर इम्यूनिटी वाली गायों को खासताैर पर प्रभावित करता है। फिलहाल इस रोग का कोई ठोस इलाज नहीं है। ये भी पढ़े : तीर्थ स्थलों का व्यापारीकरण कैसे फैलता है संक्रमण और क्या है बचाव लंपी वायरस संक्रमण मच्छर-मक्खी और चारा के साथ संक्रमित मवेशी के संपर्क में आने से भी फैलता है। जिस भी गाय को लम्पी रोग हुआ हो उस गाय का गोमूत्र व गोबर और मठ्‌ठा तीनों पदार्थ मिलाकर उसमें और पानी मिलाकर गाय को स्नान कराने से रोग का निवारण हो जाता है। गाय के शरीर में जो रोग होता है उसकी दवा भी गाय के शरीर में उपलब्ध है। ये भी पढ़े : इलेक्ट्रिक वाहन : ग्लोबल वार्...

Global Warming effect on Amarnath Shivling : अमरनाथ शिवलिंग पर ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव

facebook, twitter, अमरनाथ शिवलिंग पर ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वार्मिंग का असर न केवल यूरोप तक सीमित है, बल्कि अब इसका असर भारत में अमरनाथ गुफा तक भी पहुंच रहा है। जिसके कारण अमरनाथ का शिवलिंग वक्त से पहले पिघल रहा है। हर साल करीब एक महीने के लिए अमरनाथ के शिवलिंग के दर्शन होते थे। वहीं अब पिछले कुछ वर्षो से शिवलिंग बहुत जल्दी पिघलने लगा है, जिससे बाबा बर्फानी के दर्शन वाले दिन घटकर सिर्फ 20 दिनों में सिमट रहा है। ये भी पढ़े :  Chardham: pilgrimage or tourist destination चारधाम : तीर्थस्थल या पर्यटनस्थल अमरनाथ यात्रियों के लिए बर्फ के शिवलिंग के दर्शन और दुलर्भ होता जा रहा है। क्योंकि जो शिवलिंग पहले एक महीने तक नहीं पिघलता था, अब वह यात्रा शुरू होने के मात्र 3 हफ्ते के अंदर ही पिघलने लगा है। साल-दर-साल कम होता गया शिवलिंग का आकार आपको जानकर हैरानी होगी कि जो शिवलिंंग 90 के दशक में 20 फीट तक ऊंचा बनता था। लेकिन 2012 में इसकी ऊंचाई 18 फीट तक पहुंच गई। तो वहीं 2015 में अमरनाथ धाम में 18 फीट का शिवलिंग बना। 2016 तक आते-आते शिवलिंग की ऊंचाई 10 फीट तक सिमट गई। उस...

Chardham: pilgrimage or tourist destination चारधाम : तीर्थस्थल या पर्यटनस्थल

facebook, twitter, तीर्थ स्थलों का व्यापारीकरण हिन्दु सनातन धर्म में चार धाम यात्रा का बहुत महत्व है। चार धामों के दर्शन करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं और सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ती है। बीते दो सालों से काेरोना के कारण स्थगित यह यात्रा 2022 में फिर से शुरू हुई। कोरोना महामारी का प्रकोप कम होने के बाद देश भर के धार्मिक स्थलों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है, क्योंकि कोरोना काल में प्रतिबंधों काे झेलने के बाद हर कोई यात्रा के लिए उत्सुक भी है। श्रद्धालु यात्रा के लिए उत्सुक दिखाई पड़ते है और अपनी आस्था को भगवान के प्रति समर्पित करना चाहते है। इस वर्ष अब तक लाखों श्रद्धालु यह यात्रा पूरी कर और सुनहरी यादों को लेकर अपने घरों को लौट चुके है। इस यात्रा को इन लोगों ने क्या यादगार दिया इस पर भी विचार करना आवश्यक है। अभी इस यात्रा काे शुरू हुए एक महीना भी नहीं हुआ लेकिन केदारनाथ जाने वाले रास्ते पर प्लास्टिक और कचरे के ढेर नजर आने लगे। केदारनाथ जैसे संवेदनशील स्थान पर जिस तरह प्लास्टिक का कचरा जमा हो गया है। वह हमारी पारिस्थितिकी के लिए खतरनाक है। इससे क्षरण होगा जो भूस्खलन का कारण ब...

पर्यावरण संरक्षण : अभी नहीं तो कभी नहीं

facebook, twitter, पर्यावरण संरक्षण : अभी नहीं तो कभी नहीं सिर्फ पृथ्वी पर ही जीवन संभव है। Only One Planet In The Entire Universe ... उसे बचाना ही होगा। आज हम विश्व पर्यावरण दिवस की 50 वीं सालगिरह बना रहें है। पांच दशक पहले स्टॉकहोम में साल 1972 में 5 से 16 जून तक पर्यावरण पर दुनिया का पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ था। उसके दो साल बाद 5 जून 1974 में दुनिया के 119 देश प्रकृति को बचाने और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को हल करने की भावना से एकजुट हुए, और तब पहली बार 'केवल एक पृथ्वी' Only One Earth के स्लोगन के साथ पर्यावरण दिवस मनाया गया। ये भी पढ़े :  इलेक्ट्रिक वाहन : ग्लोबल वार्मिंग की समस्या का समाधान पर्यावरण दिवस मनाने का लक्ष्य पर्यावरण को बचाने की चुनौती से निपटने के लिए एक बुनियादी सामूहिक दृष्टिकोण बनाना था। तब से हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप नामित किया गया। आज हमारी पृथ्वी संकट में है, इसका सुरक्षा कवच यानी ओजोन लेयर छिन्न-भिन्न हो गई है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में प्राकृतिक आपदाओं की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। जिसका असर हमा...

ग्लोबल वार्मिंग की समस्या के समाधान में कितने सहायक है इलेक्ट्रिक वाहन?

facebook, twitter, इलेक्ट्रिक वाहन : ग्लोबल वार्मिंग की समस्या का समाधान विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है। इसको मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों के मध्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करना है। यह पूरे विश्व में मनाया जाता है तथा लोगों को यह बताया जाता है कि हमें पर्यावरण को बचाने के लिए हर संभव कदम उठाने चाहिए, जिनसे पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे। ये भी पढ़ें -  निर्जला एकादशी का महत्व पर्यावरणीय प्रदूषण को कम करने की दिशा में एक कदम उठाए जा रहे हैं। आज जब दुनियाभर में भारी कार्बन उर्त्सजन के कारण ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरणीय प्रदूषण का खतरा बढ़ता जा रहा है, तो ऐसे में दिल्ली सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को उसके समाधान के रूप में प्रस्तुत कर रही है। भारत सरकार भी परम्परागत वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक वाहन लाने की नीति बना चुकी है। लेकिन प्रश्न यह उठता है कि क्या इलेक्ट्रिक वाहन पर्यावरणीय प्रदूषण की समस्या का समाधान कर सकता है? ये भी पढ़ें -  विज्ञापनों में हमेशा हिंदु त्याेहारों से छेड़छाड़ क्याें? आज प्रत्यक्ष कार्बन डाई-ऑक्साइड उत्सर्जन में परिवहन क्षेत्र का हिस्सा 25 ...

निर्जला एकादशी का महत्व

facebook, twitter, निर्जला एकादशी का महत्व हिंदु धर्म के अनुसार एकादशी के व्रत का विशेष महत्व होता है। साल में 24 एकादशी आती है, और सभी का अपना अलग-अलग महत्व होता है।  कुछ एकादशी के व्रत ऐसे होते है, जिनका खास महत्व होता है और इन्हीं में से एक है निर्जला एकादशी का व्रत। हिंदु कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है। निर्जला एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है, और व्रत रखा जाता है। इस साल निर्जला एकादशी 10 जून सुबह 7:25 बजे से प्रारंभ होगी और अगले दिन यानी 11 जून सुबह 5:45 बजे समापना होगा। ये भी पढ़ें -  अक्षय तृतीया में क्या न करें, जिससे हो मां लक्ष्मी की कृपा आखिर क्यों हैं निर्जला एकादशी व्रत का विशेष महत्व हिन्दु मान्यताओं के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत सबसे श्रेष्ठ है और ये सबसे कठिन व्रतों में से एक है। इस व्रत में अन्न और जल का त्याग किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति यह व्रत विधिपूर्वक करता है, उसे जीवन में हमेशा सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। ये भी ...