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पर्यावरण संरक्षण : अभी नहीं तो कभी नहीं
सिर्फ पृथ्वी पर ही जीवन संभव है। Only One Planet In The Entire Universe ... उसे बचाना ही होगा। आज हम विश्व पर्यावरण दिवस की 50 वीं सालगिरह बना रहें है। पांच दशक पहले स्टॉकहोम में साल 1972 में 5 से 16 जून तक पर्यावरण पर दुनिया का पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ था। उसके दो साल बाद 5 जून 1974 में दुनिया के 119 देश प्रकृति को बचाने और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को हल करने की भावना से एकजुट हुए, और तब पहली बार 'केवल एक पृथ्वी' Only One Earth के स्लोगन के साथ पर्यावरण दिवस मनाया गया।
पर्यावरण दिवस मनाने का लक्ष्य पर्यावरण को बचाने की चुनौती से निपटने के लिए एक बुनियादी सामूहिक दृष्टिकोण बनाना था। तब से हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप नामित किया गया।
आज हमारी पृथ्वी संकट में है, इसका सुरक्षा कवच यानी ओजोन लेयर छिन्न-भिन्न हो गई है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में प्राकृतिक आपदाओं की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। जिसका असर हमारी पृथ्वी और यहां रहने वालें जीवों के जीवन पर हो रहा है, लेकिन इन प्राकृतिक आपदाओं का ज्यादा और बुरा असर विकासशील देशों पर पड़ रहा है।
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संयुक्त राष्ट्र के महासचिव, एंटोनियो गुटेरस ने इस विषय पर चिंता जताते हुए कहा है कि "पृथ्वी पर तीन बड़े सकंट जलवायु व्यवधान, प्रकृति, जैव विविधता को नुकसान और प्रदूषण करोड़ों लोगों के रहन-सहन और वजूद के लिए खतरा पैदा कर रहें हैं।" इस खतरे से बचने के लिए और स्वस्थ जीवन के लिए जैव विविधता को बचाना जरूरी है।
हमारे पास सिर्फ पृथ्वी है और जीवन सिर्फ यहीं है, इसलिए इसको सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी भी हमारी है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा हमें अभी महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए, क्योंकि अभी नहीं तो कभी नहीं। पर्यावरण संरक्षण विकसित देशों की अधिक जिम्मेदारी है।
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