मिडिल क्लास अबायी आज हमारे घर पर मेहमानों की भीड़ लगी हुई है। सभी लोग जोड़े काे उपहार और आगे के जीवन के लिए शुभकामनाएं दे रहे है। दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे को देखकर शर्मा रहे है। थोड़ा ठहरिए जैसा आप लोग सोच रहे है यह कोई शादी समारोह... नहीं है। ये जो सामने मंच पर आपको दूल्हा-दुल्हन दिखाई दे रहे है वो मेरे दादा-दादी है, और मैं उनका पोता रतन कुमार। आज मेरे दादाजी की शादी की 50वीं वर्षगांठ है और इसी के उपलक्ष्य में ये उत्सव मनाया जा रहा है। हमारी फैमिली एक "मिडिल क्लास फैमिली" है। इस समारोह में किसी ने दादाजी से पूछ लिया कि मिडिल क्लास होना वरदान है या अभिशाप? यह सवाल सुनकर हॉल में सन्नाटा छा गया क्योंकि वह सज्जन स्वयं एक मिडिल क्लास फैमिली से संबंध रखते है। इस सवाल पर दादाजी का जवाब सुनने की उत्सुकता सभी लोगों में बढ़ती जा रही है। फिर दादाजी ने अपने जीवन के अनुभव हम सभी लोगो के साथ साझा करते हुए बाेलने लगे- मिडिल क्लास को कभी बोरियत नहीं होती है यही उनका सबसे बड़ा वरदान है। जिदंगी भर कोई-न-कोई आफत लगी रहती है। इनके नसीब में न तो तैमूर जैसा बचपन हाेता है और न ही अनूप जलो...
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