मिडिल क्लास अबायी
आज हमारे घर पर मेहमानों की भीड़ लगी हुई है। सभी लोग जोड़े काे उपहार और आगे के जीवन के लिए शुभकामनाएं दे रहे है। दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे को देखकर शर्मा रहे है। थोड़ा ठहरिए जैसा आप लोग सोच रहे है यह कोई शादी समारोह... नहीं है। ये जो सामने मंच पर आपको दूल्हा-दुल्हन दिखाई दे रहे है वो मेरे दादा-दादी है, और मैं उनका पोता रतन कुमार।
आज मेरे दादाजी की शादी की 50वीं वर्षगांठ है और इसी के उपलक्ष्य में ये उत्सव मनाया जा रहा है। हमारी फैमिली एक "मिडिल क्लास फैमिली" है। इस समारोह में किसी ने दादाजी से पूछ लिया कि मिडिल क्लास होना वरदान है या अभिशाप?
यह सवाल सुनकर हॉल में सन्नाटा छा गया क्योंकि वह सज्जन स्वयं एक मिडिल क्लास फैमिली से संबंध रखते है। इस सवाल पर दादाजी का जवाब सुनने की उत्सुकता सभी लोगों में बढ़ती जा रही है। फिर दादाजी ने अपने जीवन के अनुभव हम सभी लोगो के साथ साझा करते हुए बाेलने लगे-
मिडिल क्लास को कभी बोरियत नहीं होती है
यही उनका सबसे बड़ा वरदान है।
जिदंगी भर कोई-न-कोई आफत लगी रहती है।
इनके नसीब में न तो तैमूर जैसा बचपन हाेता है और
न ही अनूप जलोटा जैसा बुढ़ापा,
फिर भी अपने आप में उलझते हुए व्यस्त रहते है।
चाहे BMW का भाव बढ़े या Audi का
या फिर नया I-Phone लांच हो जाये,
कोई फर्क नहीं पड़ता।
मिडिल क्लास लोगों की
आधी जिदंगी तो झड़ते हुए बाल
और बढ़ते हुए पेट को रोकने में चली जाती है।
इन घरों में पनीर की सब्जी तभी बनती है,
जब दूध गलती से फट जाता है, और
मिक्स वेज की सब्जी तभी बनती है
जब रात वाली सब्जी बच जाती है।
इन घरों में फ्रूटी, कोल्ड ड्रिंक
एक साथ तभी आते है, जब घर में कोई
बढ़िया वाला रिश्तेदार आ रहा होता है।
मिडिल क्लास वालों के यहां
कपड़ों की तरह ही
खाने वाले चावल की भी
तीन वैरायटी होती है
डेली, कैजुअल और पार्टी वाला।
छानते समय चायपत्ती को दबा कर
लास्ट बूंद तक निचाड़ लेना ही
मिडिल क्लास वालों के लिए
मिडिल क्लास वालों के लिए
परमसुख की अनुभूति होती है।
ये लोग रूम फ्रेशनर का इस्तेमाल
नहीं करते, सीधे
अगरबत्ती जला लेते है।
मिडिल क्लास भारतीय परिवार के
घरों में Get Together नहीं होता,
यहां "सत्यनारायण भागवान" की कथा होती है।
इनका फैमिली बजट इतना
सटीक होता है, कि सैलरी अगर
31 के बजाय 1 को आये, तो
गुल्लक फोड़ना पड़ जाता है।
मिडिल क्लास लोगों की
आधी जिदंगी तो
"बहुत महंगा है" बोलने में ही निकल जाता है।
इनकी "भूख" भी
हाेटल के रेट्स पर डिपेंड करती है।
दरअसल
महंगे होटलों की मेन्यू बुक में
मिडिल क्लास इन्सान
फूड आइटम्स नहीं बल्कि
अपनी "औकात" ढूंढ रहा होता है।
इश्क-मोहब्बत तो
अमीरों के चाेंचले है।
मिडिल क्लास वाले तो सीधे
ब्याह करते है।
इनके जीवन में कोई
वैलेनटाइन नहीं होता।
जिम्मेदारियां जिदंगी भर
बजरंगदल सी पीछे लगी रहती है।
मध्यम वर्गीय दूल्हा-दुल्हन भी
मंच पर ऐसे बैठे रहते है मानो जैसे
किसी भारी सदमें में हो।
अमीर शादी के बाद
हनीमून पर चले जाते है, और
मिडिल क्लास लोगों की शादी के बाद
टेंट, बर्तन वाले ही इनके पीछे पड़ जाते है।
मिडिल क्लास बंदे को
पर्सनल बेड और रूम भी
शादी के बाद ही अलॉट हो पाता है।
मिडिल क्लास बस ये समझ लो कि
जो तेल सर पर लगाते है वही तेल
मुंह पर भी रगड़ लेते है।
एक सच्चा मिडिल क्लास आदमी
गीजर बंद करके
तब तक नहाता रहता है
जब तक कि नल से
ठंडा पानी आना शुरू न हो जाये।
रूम ठंडा होते ही एसी बंद करने वाला
मिडिल क्लास आदमी चंदा देने के वक्त
नास्तिक और प्रसाद खाने के वक्त आस्तिक हो जाता है।
दरअसल मिडिल क्लास तो
चौराहे पर लगी घंटी के समान है,
जिसे लूली-लंगड़ी, अंधी-बहरी,
अल्पमत-पूर्णमत
हर प्रकार की सरकार
पूरा दम से बजाती है।
मिडिल क्लास को आजतक बजट में
वही मिला है, जो अक्सर हम
🔔मंदिर में बजाते है।🔔
फिर भी हिम्मत करके
मिडिल क्लास आदमी
पैसा बचाने की
बहुत कोशिश करता है,
लेकिन
बचा कुछ भी नहीं पाता।
हकीकत में मिडिल मैन की हालत
पंगत के बीच बैठे हुए
उस आदमी की तरह होती है
जिसके पास पूड़ी-सब्जी
चाहे इधर से आए, चाहे उधर से
उस तक आते-आते खत्म ही हो जाती है।
उनकी कही हुई हर बात हर उस व्यक्ति के जीवन से संबंध रखती है, जो एक मिडिल क्लास फैमिली से है। अगर आप के भी अभी तक के अनुभव कुछ इसी तरह के है तो "बधाई हो"। यह बधाई इस लिए कि आपकों अपने जीवन में कभी बोरियत नहीं महसूस होगी, क्योंकि आप एक मिडिल क्लास से हो।
Gud story 👍👍👍👍
ReplyDeleteशरुआत की पक्तियां पढ़ते वक्त यही सोच रहा था,
ReplyDeleteकोटपुरा करने के जैसा ही है,
उतना ही पढ़ना है कि
समझ सके इसका भाव क्या है,
पर पढ़ने लगा, तो
पूरा खत्म क्यों हो गया,
इसका अफसोस भी था।
बहुत खूब👍👍
उम्दा
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