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इलेक्ट्रिक वाहन : ग्लोबल वार्मिंग की समस्या का समाधान
विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है। इसको मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों के मध्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करना है। यह पूरे विश्व में मनाया जाता है तथा लोगों को यह बताया जाता है कि हमें पर्यावरण को बचाने के लिए हर संभव कदम उठाने चाहिए, जिनसे पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे।
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पर्यावरणीय प्रदूषण को कम करने की दिशा में एक कदम उठाए जा रहे हैं। आज जब दुनियाभर में भारी कार्बन उर्त्सजन के कारण ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरणीय प्रदूषण का खतरा बढ़ता जा रहा है, तो ऐसे में दिल्ली सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को उसके समाधान के रूप में प्रस्तुत कर रही है। भारत सरकार भी परम्परागत वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक वाहन लाने की नीति बना चुकी है। लेकिन प्रश्न यह उठता है कि क्या इलेक्ट्रिक वाहन पर्यावरणीय प्रदूषण की समस्या का समाधान कर सकता है?
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आज प्रत्यक्ष कार्बन डाई-ऑक्साइड उत्सर्जन में परिवहन क्षेत्र का हिस्सा 25 प्रतिशत है और उसमें से 45 प्रतिशत उत्सर्जन यात्री कारों से होता है। ऐसे प्रत्येक वाहन में 20 हजार से 30 हजार कल-पुर्जे लगते है, जिनमें एल्युमीनियम, स्टील समेत कई चीजों का इस्तेमाल होता है, और जिनके उत्पादन में भारी मात्रा में प्रदूषण फैलता है। जानकारों का मानना है कि वाहन बनाने में इस्तेमाल हाेने वाले कल-पुर्जों से होने वाला प्रदूषण, जो अभी 18 प्रतिशत है, 2040 तक बढ़कर 60 प्रतिशत हो सकता है।
इलेक्ट्रिक कारों में लगने वाली बैटरी का वजन कम करने के लिए कार निर्माता एल्युमीनियम का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसके कारण प्रदूषण और बढ़ता है, क्योंकि एल्युमीनियम का खनन व उत्पादन ऊर्जा की खपत बढ़ाता है। बैटरी और कल-पुर्जे बनाने में ज्यादा कार्बन उत्सर्जन होता है। इसलिए माना जा रहा है कि परंपरागत वाहनों की तुलना में इलेक्ट्रिक कार से ज्यादा प्रदूषण होने वाला है।इलेक्ट्रिक कारों में लिथियम, कोबाल्ट, निकल, तांंबा, ग्रेफाइट, स्टील, एल्युमीनियम और प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है। कल्पना की जा सकती है कि इन सबके खनन और उत्पादन में कितने संसाधन लगेंगे और कितनी ग्रीनहाउस गैसों का अतिरिक्त उत्सर्जन होगा।
तो इसलिए हमें यह देखने की जरूरत है कि इस आपूर्ति श्रृंखला में कितना कार्बन उत्सर्जन हो रहा है। यदि इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन में ही इतना ज्यादा कार्बन उत्सर्जन हो जाएगा, तो उत्सर्जन को कम करने का हमारा और देश का लक्ष्य कैसे पूरा होगा।
तो वहीं कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन और इस्तेमाल से होने वाला प्रदूषण पारंपरिक वाहनों की अपेक्षा कम ही है, लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले कल-पुर्जों, बैटरी इत्यादि के निर्माण से होने वाले कार्बन उत्सर्जन में कमी के लिए और ज्यादा प्रयास होने चाहिए।
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